Surrogacy Regulation Act 2021
किराए की कोख: सरोगेसी एक्ट में नया क्या है, महिलाओं के लिए अब
क्या कुछ बदल जाएगा?
पारंपरिक सरोगेसी
में किराये पर ली गई कोख में पिता का स्पर्म महिला के एग्स से मैच कराया जाता है.
इस सरोगेसी में बच्चे का जेनिटक संबंध केवल पिता से होता है. लेकिन एक और विधि होती
है.
देश में किराए की कोख से जुड़ा सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021(Surrogacy Regulation
Act 2021) पास हो चुका है. राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद ने इस कानून को मंजूरी दे दी है. अब गजट में प्रकाशित कर यह कानून
पूरे देश में लागू हो जाएगा. इस कानून के जरिए सरोगेसी को वैधानिक मान्यता देने और
इसके कमर्शियलाइजेशन पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया है.
इस नए कानून से सरोगेसी को ‘धंधा’ बनाए जाने पर रोक लगेगी. इस कानून के जरिये केवल मातृत्व सुख
प्राप्त करने के लिए ही सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी. बता दें कि सरोगेसी (विनियमन)
बिल 2019 को 17 दिसंबर को राज्यसभा से पारित करा लिया गया था. उस समय विपक्ष के
हंगामे के बीच इसे सदन में ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई थी.लोकसभा में यह बिल पहले
ही पारित हो गया था आइए विस्तार से समझते हैं कि क्या होती है सरोगेसी, इस एक्ट में नया क्या है और महिलाओं के लिए क्या कुछ बदल
जाएगा.
पहले यह
समझिए कि सरोगेसी में होता क्या है?
इतना तो आप जान ही रहे हैं कि
सरोगेसी का मतलब है, दूसरे के
बच्चे को अपनी कोख में पालना. दंपती की ओर से सरोगेट मदर की प्रेग्नेंसी के दौरान
स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना और सारे खर्च की जिम्मेदारी लेना दंपती के हिस्से
होता है. स्पष्ट है कि किसी महिला की कोख किराये पर ली जाती है.
बच्चा पैदा होने के लिए पति और पत्नी या कहिए कि महिला और पुरुष के
बीच सेक्शुअल रिलेशन होना जरूरी होता है. लेकिन इसमें ऐसा जरूरी नहीं है. किराए की
कोख के लिए दूसरी महिला को तैयार करने के बाद डॉक्टर आईवीएफ तकनीक के जरिए पुरुष
के स्पर्म में से शुक्राणु लेकर उसे महिला की कोख में प्रतिरोपित करते हैं.
दो तरह की
होती है सरोगेसी
ट्रेडिशनल सरोगेसी: पारंपरिक सरोगेसी में किराये पर ली गई
कोख में पिता का स्पर्म महिला के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में बच्चे
का जेनिटक संबंध केवल पिता से होता है.
जेस्टेशनल सरोगेसी: इस विधि में पिता का स्पर्म और मां के
एग्स को मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए सेरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया
जाता है. इससे जो बच्चा पैदा होता है, उसका
जेनेटिक संबंध दोनों से होता है.
सरोगेसी
एक्ट में नया क्या है?
नए एक्ट के मुताबिक, सरोगेसी की अनुमति तभी दी जाएगी जब संतान के लिए इच्छुक जोड़ा
मेडिकल कारणों से बांझपन से प्रभावित हो. यानी सामान्य तौर पर दंपती संतान सुख के
काबिल न हों.
इस कानून के जरिए बच्चे पैदा करके
उसे बेचने, वेश्यावृत्ति में धकेलने या फिर अन्य
किसी तरह के शोषण पर रोक लगाई जा सकेगी.
सरोगेट मां को गर्भावस्था के
दौरान मेडिकल खर्च और बीमा कवरेज के अलावा और कोई वित्तीय मुआवजा नहीं दिया जाएगा.
महिलाओं के
लिए क्या कुछ बदल जाएगा?
सरोगेट मदर बननेवाली महिला और
दंपत्ति के बीच एक खास एंग्रीमेंट किया जाता है. सरोगेट मदर को प्रेग्नेंसी के
दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए तो पैसे दिए जाते ही हैं, सरोगेसी के लिए वह अलग से एक अमाउंट चार्ज करती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
पहले सरोगेसी के लिए लोग ज्यादा
से ज्यादा पैसे खर्च करने को तैयार रहते थे और ऐसे में इसका कमर्शियलाइजेशन होता
चला गया. लेकिन सरकार का उद्देश्य है कि जरूरतमंद दंपतियों को संतान सुख मिल सके.
इसके जरिये महिलाओं के शोषण पर रोक लगे.
इन
परिस्थितियों में ली जा सकती है मदद
– जब तमाम प्रयासों और इलाज के बावजूद
महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही हों, तो सरोगेसी
एक अच्छा विकल्प साबित होता है.
– जब तमाम तरह के इलाज के बावजूद भी महिला
का गर्भपात हो रहा हो तब सरोगेसी की मदद ली जा सकती है.
– गर्भाशय या श्रोणि विकार होने पर
सेरोगेसी को ऑप्शन के तौर पर देखा जा सकता है.
– भ्रूण आरोपण उपचार के फेल्योर के बाद
सरोगेसी के जरिए बच्चा हासिल किया जा सकता है.
– हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम या अन्य गंभीर तरह की जेनेटिक स्वास्थ्य
समस्याओं में भी कई बार डॉक्टर सरोगेसी का सहारा लेने की सलाह देते हैं.
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